आप को देख के ये ख़याल आया
देखा तो मैने खुद से दूर पाया
आगे आगे चलते चलते रास्ते पर ये पैर
कहा चले गये रास्ते ओर हो गये हम गैर
दिया जब यू झलता है अंधेरे मे देता उजास
आज क्यू मॅन करता है की मे बैठू तेरे पास
आखो से ही देखा है ओर परखा मेने दिल से
क्यू याद आते वो मस्ती के दिन फिर से
आपकी एक जालक पाने के लिए हम ने किया इंतज़ार
आपको देख के ही मॅन मे बजते है सात सितार
वो कोमल से हाथ जिनको मेने कभी ना थमा
वो प्यार ओर दोस्ती जिसे मे कभी ना पामा
लेकिन देख के आपको होती है मुस्कान
यही है मेरे सचे प्रेम की शान
Wow, what a lovely poem!!!! :)
ReplyDeletewah kya pyar hai!!!
ReplyDeleteThank you
ReplyDeletehvbjk
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